जैबिक कृषि


चिकित्सा एवं औषधीय

जड़ी बूटी प्रकल्प



जडीबुटी के माध्यम से तथा आयुर्वेद से रोगों के समाधान हेतु प्रयास तेज हो गये है । जिसके लिए न्यास परिसर के पूर्वी भाग में ३ एकड़ भूमि पर ७५ प्रकार की औषधीय पौधो की रोपणी तैयार की गई जो कि सभी दुर्लभ प्रजाति की हैं । इस वर्ष प्रोजेक्ट द्वारा १०१ प्रकार के दुर्लभ प्रजाति के पौधों को रोपित किया गया है यह रोपणी बनखेड़ी ब्लाक का आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है ।


जड़ी बूटी प्रकल्प
जैविक कृषि
कृषक आधुनिकता के साथ-साथ आधुनिक कृषि कर रहा है। किन्तु भूमि की उर्वरकता के साथ खिलवाड कर रहा है। रासायनिेक खादो के प्रयोग से भूमि बंजर हो रही है। जिससे भूमि की उर्वरक शक्ति कम हो रही है। कृषक रासायनिक खाद के भार से दबता जा रहा है। अलाभकारी जोते बढती जा रही है। कृषि की रूचि समाप्त होती जा रही है। नवयूवक कृषक खेती को छोडकर दूसरे क्षेत्रो की ओर जा रहे है। गोबर एवं गौमूत्र का प्रयोगाभाव है। कोई गोबर एवं गौमूत्र का प्रयोग सही ढंग से नही बता पा रहे है। किसान रासायनिक खाद का प्रयोग बंद नही कर सकता क्योकि एकदम प्रयोग के असर से उत्पादन शून्य हो जाता है। इसलिये जैविक खेती का प्रयोग किसान नही कर पा रहे है। रासायनिक खादो के प्रयोग से पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड रहा है। पर्यावरण संतुलन के लिये जैविक कृषि की ओर किसानो को जगाना पडेगा। जब ही रोग मुक्त समृ+द्ध देश का निर्माण हो सकेगा। प्रायोगिक जैविक खेती के घटक जो प्रक्षेत्र पर तैयार कर कृषको को प्रशिक्षण एवं प्रायोगिक रूप से सिखाये जायेगे
Krashi



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